संघ संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी के सहयोगी "मा. कृष्णराव मोहरिर"
श्री कृष्णराव मोहरिर नागपुर के निवासी थे। सन् 1938 में संघ के स्वयंसेवक बने । जैसे-जैसे संघ का कार्य बढ़ता गया, वैसे-वैसे नागपुर कार्यालय को केंद्रीय कार्यालय का स्वरूप प्राप्त हुआ। तब कार्यालय में काम करने के लिए किसी सक्षम व्यक्ति की आवश्यकता महसूस होने पर संघ संस्थापक पूजनीय डॉक्टरजी ने कृष्णराव जैसे जिम्मेदार तथा सक्षम व्यक्ति को कार्यालय का सारा भार सौंप दिया। इस नाते उन्होंने मेहमानों का आदर-सत्कार, कार्यालयीन पत्र-व्यवहार, रेलवे स्टेशन पर जाने का कार्य किया। किसी का स्वागत, अगवानी या विदाई की व्यवस्था, किसी मरीज की देखभाल, ये सब काम किए, साथ ही संघ का कार्य यानी एक परिवार के नाते किसी स्वयंसेवक के घर के विवाह, जनेऊ (उपनयन) जैसे खुशी के प्रसंगों में उत्साह से भाग लेते थे और उसी समभाव से किसी की बीमारी, संकट, किसी की मृत्यु जैसे दु:खदायी प्रसंगों में भी सम्मिलित होते थे ।
इन्हीं कृष्णराव का परिचय देते हुए प.पू. श्रीगुरुजी ने सूत्रमय पद्धति से कहा था, "कृष्णराव को जो काम सामने दिखाई देता है, उसे पूरा करके ही छोड़ते हैं और उसे पूरी सफलतापूर्वक ही करते हैं। श्री कृष्णराव जीवनपर्यंत नागपुर के संघ के केंद्रीय कार्यालय प्रमुख रहे, फिर भी उन्होंने सारे भारतवर्ष में अपना आत्मीय वर्ग निर्माण किया । यह कृष्णराव की अपनी खुद ही की खासियत थी । उनकी दिनचर्या बड़ी व्यस्त थी । वे रात के 11 बजे अपने कमरे में आते थे। फिर डायरी लिखते, कपड़े धोते, सोने से पहले चक्कर लगाकर दूसरे प्रांत से आए हुए स्वयंसेवकों की व्यवस्था देखते । इन सब कार्यों में रात के 12-12.30 बज ही जाते थे। इतना सबकुछ करने के बावजूद कृष्णरावजी के चेहरे पर कभी भी थकान या तनाव नहीं आता था । वे हमेशा हँसमुख- प्रसन्न दिखाई देते थे।
-संघ नींव में विसर्जित पुष्प
Post a Comment