बौद्धिक कार्यक्रम

आरएसएस की एक गतिविधियों मे से एक है बौद्धिक कार्यक्रम जिसमे संघ अपने विचारधार और उसके विपरीत विचारधारों का संयोजन कर संघ के अनुकूल बौद्धिक कार्यक्रम की संकल्पना तैयार की जाती है उसी आधार पर कार्यक्रमों का क्रियान्वयन किया जाता है |  संघ की विचारधारा में अन्य सभी विचारधाराओं को सीखने की संकल्पना समाहित होते है क्यों की संघ कभी भी विचारधारा को बदल सकता है देश काल समय परिथितियों के अनुसार विचारधार को लेकर चलता है ऐसे में बहुत बार एसी स्थिति आ जाती की संघ बहुत सारे मामलों का समर्थन करता हुआ पाया जाता है |

इसलिए संघ कथित तौर चाहता क्या है और करता क्या है | संघ की बौद्धिक योजना इसी तरह काम करती है | सबसे पहले संघ की शाखा के बारें में बौद्धिक योजना को जान लेते है |

तो आइये देखते है जो इस प्रकार है !

  • प्रेरक कहानियां, 
  • प्रेरक प्रसंग 
  • संस्मरण 
  • बौध कथा 
  • सुभाषित 
  • अमृत वचन 
  • बड़ी कहानी 
  • जीवन चरित्र 
  • संघानुकुल शैली 
  • हिन्दू सास्कृतिक आचरण 

ये सभी एक नार्मल चीजे है जो संघ बौद्धिक योजना का अंग है को संघमय और संघनिष्ट कार्यकर्त्ता का निर्माण करने में सहयोगी है अत:संघ की शाखा की सामान्य बौद्धिक कार्यक्रम है |

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं के लिए बहुत सारी चीजे सामान्य हो जाती है, क्युकी संघ और समाज तथा अन्य काम करने के लिए उसकी सामान्य जानकारी होनी चाहिए जो संघ के कार्यकर्ताओं के लिए आम बात हो गयी जाती है | जैसे की स्वाध्याय यानि किताबे पड़ना जो की जरुरी है सामाजिक और धार्मिक इतिहास ये कुछ सामान्य विषय है जिसमे संघ के अनुसार अध्ययन ये विषय तय किये जाये है | संघ साहित्य अध्ययन करना वर्गों के अनुसार तैयारी करके जाना है | एसी आत्मनिर्भर स्वाध्याय कर लिए जरुरी समझा जाता है |

प्राथमिक वर्ग में कुछ तैयारी करवाई जाती है संघ संस्थापक की जीवनी पढकर जाना | प्रथम वर्ष में संघ द्वारा किये गए सामाजिक कार्य की गाथाएं पड़ना और भी देश और समाज के लिए किये गये कार्य का ब्यौरा पड़ना और पढाना | द्वितीय वर्ष में संघ की बोद्धिक योजना के अनुरूप संघ दर्शन जैसी व्याख्याए यद् अकारण संघ का इतिहास और संघ की चुनौतियों का स्मरण करना और संघानुकुल उसका क्रियान्वन कार्यकर्ताओं में बिच में करना | तृतीय वर्ष जो संघ की बौद्धिक योजना में संघ की विचारधारा को भूमि पर किर्यान्वित करने वाले पूज्यनीय श्री गुरूजी द्वारा रचित विचार नवनीत का अध्ययन कर्ण सभी संघ के कार्यकर्ताओं के लिए आवश्यक है | किन्तु अब संघ की वर्ग यानि प्रशिक्षण व्यवस्था बदल गयी है | जिसमें आमूलचूल परिवर्तन किया गया है | सन 2024 में संघ में प्रशिक्षण वर्ग के नामों को परिवर्तित किया है, पहले प्रशिक्षण वर्ग स्टेज था |

पूर्व में इस प्रकार थे |

  • शिविर 
  • प्राथमिक वर्ग 
  • प्रथम वर्ष 
  • द्वतीय वर्ष 
  • तृतीय वर्ष 

अब इस प्रकार में है 

  • शिविर के समय में कटौती कर डी गयी है |
  • प्राथमिक यथावत 
  • प्रथम वर्ग 
  • कार्यकर्त्ता विकास वर्ग -1 
  • कार्यकर्त्ता विकास वर्ग -2 

चूँकि यहाँ इतनी बाते बताने का ओचित्य यह है | संघ की बौद्धिक वर्ग इन्ही के बैस के आधारपर तय किये जाते है |

बौद्धिक वर्ग के प्रकार जानें |

  • गीत वर्ग 
  • बौद्धिक वर्ग 
  • प्रशिक्षण के आधार पर बौद्धिक वर्ग 
  • दायित्व के आधार पर बौद्धिक वर्ग 
  • स्तर के आधार पर बौद्धिक वर्ग 
  • कहानी वर्ग 
  • भाषण वर्ग 
  • वाद-विवाद वर्ग 
  • संवाद करना 
  • संपर्क करना 
  • विषयान्तर्गत वर्ग 
  • विभिन्न प्रकार के आवश्यकतानुसार 

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