सरसंघचालक
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सबसे बड़ा पद सरसंघचालक का होता है | आरएसएस में इस पद की गरिमामय मान्यता के कारण इस पद का सांगठनिक महत्व है जिसका प्रभाव संघ के हर स्वयंसेवक कार्यकर्त्ता और संघ से संबंधित लोगों पर पड़ता है | आरएसएस ने शुरुआत में संघ की रचना कुछ सामान्य सी थी किन्तु बाद में समय की महत्ता को देखते हुए संघ में अनेक पदों का क्रियान्वयन किया गया ,और धीरे-धीरे संघ का अस्तित्व नजर आने लगा और उसका क्रियान्वयन किया गया संघ के प्रथम सरसंघचालक और आरएसएस के संस्थापक डॉ. हेडगेवार जी का अतुलनीय योगदान रहा उनकी दुरद्रष्टिता का कोई सानी नही था | इसलिए प्रथम पूज्यनीय सरसंघचालक डॉ.हेडगेवार जी जैसा कोई नही है | संघ के वे पहले ऐसे सरसंघचालक थे जो पैदल घूमकर और प्रवास करते थे उनके सरसंघचालक जीवन बहुत ही कष्टदायक रहा बाकी सरसंघचालक की तरह नही रहा | बाद में सन 1940 में पूज्यनीय गुरूजी को सरसंघचालक जी जिम्मेदारी सौंपी अनवरत 33 वर्षों तक पुरें भारत वर्ष का भ्रमण किया निरंतर प्रवास करते रहतें थे | उनके बारें में खा जाता है की वो ट्रेन को ही अपना घर मान कर लगातार प्रवास करतें रहतें थे |
इसलिए सरसंघचालक सांगठनिक संवैधानिक पद की रचना में सरसंघचालक का पद कई मायनों में अभूतपूर्व है इस कारण संगठन में सरसंघचालक के पद की मर्यादाएं और अधिकार क्षेत्र है जो संघ के सरसंघचालक के अधिकार क्षेत्र में आतें है |
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख सरसंघचालक
- डॉ केशव बलिराम हेडगेवार (डॉक्टरजी)
- माधव सदाशिवराव गोलवलकर (श्रीगुरुजी)
- मधुकर दत्तात्रेय देवरस (बालासाहेब देवरस )
- प्रो.राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया)
- कुप्पहल्ली सीतारमैया सुदर्शन
- डॉ. मोहन भागवत
सरसंघचालक कार्यकाल
क्रमांक | सरसंघचालक | कार्यकाल |
---|---|---|
1. | डॉ केशव बलिराम हेडगेवार (डॉक्टरजी) | 1926 - 1940 |
2. | माधव सदाशिवराव गोलवलकर (श्रीगुरुजी) | 1940 -1973 |
3. | मधुकर दत्तात्रेय देवरस (बालासाहेब देवरस ) | 1973 - 1993 |
4. | प्रो.राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) | 1993 - 2000 |
5. | कुप्पहल्ली सीतारमैया सुदर्शन | 2000 - 2009 |
6. | डॉ. मोहनराव भागवत | 2009 - वर्तमान |
- सबसे महत्वपूर्ण कार्य कांग्रेस छोडकर मुक्त मुक्त संगठन की नीव रखीं |
- सामाजित समरसता को आत्मसात किया, 1938 वर्धा में लगें संघ के शिविर में गाँधी जी इसके प्रत्यक्ष उदाहर थे |
- हिन्दुओं को एक साथ लेन का प्रयास जिसका आकार आज प्रत्यक्ष दिखाई डे रहा है |
- समाज को हिन्दू होने का गर्व समझाया |
- 1947 में भारत विभाजन के समय भारत-पाकिस्तान डॉ हिस्सों में बाटनें पर जो क्षेत्र पाकिस्तान में चला गया वह हो रहे हिन्दुओं के कत्लेआम से बचने के लिए आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने श्री गुरूजी के आव्हान पर लोगों को बचाने का काम किया |
- जम्मू-कश्मीर विलय के लिए महाराजा हरिसिंह से मिलकर भारत कश्मीर का भारत में विलय करवाया |
- 1948 में गाँधी हत्या के बाद संघ पर प्रतिबंध लगा तब संघ के स्वयंसेवकों को गुरूजी के आवाहन पर संघ का कार्य स्थगित करने का निर्देश दिया जब तक प्रतिबन्ध नही हटा तब-तक भूमिगत रहकर कार्य करने को खा और कार्यकर्ताओं ने वैसा ही किया |
- देशभर में प्रतिवर्ष 19 दिसंबर को गोवा मुक्ति दिवस (Goa Liberation Day) के रूप में मनाया जाता है। आपको बता दें कि भारत की आजादी के बाद भी गोवा पुर्तगालियों के कब्जे में रहा। देश की आजादी के 14 वर्ष बाद भारत के द्वारा चलाये गए ऑपरेशन विजय के द्वारा गोवा को पुर्तगालियों के चंगुल से आजाद करवाया गया। जिसमे बड़ी संख्या में संघ के स्वयंसेवकों ने बाग़ लिया था उस समय श्री गुरूजी ने कार्यकर्ताओं का मार्ग दर्शन किया |
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