रोज़ आरएसएस कि शाखाएं क्यों लगती हैं?.

प्रतिदिन की शाखा क्यों.? आखिर रोज संघ कि शाखा क्यों :-

शाखा पर नित्य नियमित रूप से जो प्रशिक्षण दिया जाता है, उसके द्वारा तादात्म्य एवं सामूहिक कर्मों को अच्छी प्रकार से करने की भावना का उदय होता है। इससे व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व के आड़े-तिरछे कोणों को घिसकर मिटा देने की प्रेरणा मिलती है तथा समाज में अपने शेष बंधुओं के साथ ऐक्य भावना का व्यवहार एवं अन्य मस्तिष्कों के विविध दृष्टिकोणों से अपना मेल बैठाते हुए संगठित ओर अनुशासित जीवन पद्धति में खड़े होने की योग्यता प्राप्त होती है। वहाँ पर एकत्रित व्यक्ति एक ही की आज्ञा साथ-साथ पालन करना सीखते हैं। 

अनुशासन उनके रक्त में प्रविष्ट होता है। शरीर के अनुशासन से मन का अनुशासन अधिक महत्त्वपूर्ण होता है। वे अपने व्यक्तिगत आवेगों एवं संवेगों को महान राष्ट्रीय लक्ष्य की ओर उन्मुख करना सीखते हैं । इस प्रकार शाखा पर निर्माण होनेवाला आदर्श अनुशासन स्वेच्छा से गृहीत होता है, क्योंकि वह राष्ट्र के लिए उत्कट समर्पण की भावना से उत्पन्न होता है । इस प्रकार का अनुशासन व्यक्ति में छिपी सुप्त शक्तियों को राष्ट्रहित के साथ स्वरैक्य स्थापित कर, समृद्ध और प्रस्फुटित करता है। पूर्ण विकसित पुरुषोचित सद्गुणों के साथ पारस्परिक स्नेह तथा सहयोग की भावना से ओतप्रोत एवं स्वतःस्फूर्त अनुशासन के बंधन से बद्ध, एक साथ कार्य करने के लिए पूर्ण एवं नित्य सिद्ध मनुष्य ही राष्ट्रीय शक्ति के अक्षय भंडार का निर्माण करते हैं ।

श्री गुरुजी समग्र खंड ११ पृष्ठ क्र.३८५

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