विदेशी काल गणनाओं कि विसंगतियां ( अंग्रेजी कैलेंडर का विकास और गलतिया )
विसंगतियों का प्रमाण
जिस प्रकार आज हम एक कैलेंडर का उपयोग करते हैं। जिसमें बारह महिने कहां जाता है किन्तु ये असल में ऐसा नहीं था। चूंकि जो कालगणना होती हैं वो चन्द्र और सूर्य कि गति पर मुख्य रूप से आधारित है। दुनिया भर में जो कैलेंडर प्रचलित हैं इसका कुछ इस प्रकार से विकास हुआ है तों आइए जानते हैं विस्तार से कि यह कैलेंडर आखिर में प्रचलन में कैसे आया।
Children britanika vo1.3 1964 में कैलेंडर का इतिहास बताया जो कुछ इस तरह से जुड़ता चला गया:- इसमें माह कि गणना चन्द्र गति से और वर्ष कि गणना सूर्य गति से आधारित है किन्तु इसका इससे कोई सम्बन्ध है ही नहीं और किसी तरह का कोई तालमेल नहीं बैठता है।
ईसा से 753 वर्ष पहले रोम नगर की स्थापना के समय रोमन संवत् प्रारम्भ हुआ जिसके मात्र दस माह व 304 दिन होते थे। इसके 53 साल बाद वहां के सम्राट नूमा पाम्पीसियस ने जनवरी और फरवरी दो माह और जोड़कर इसे 355 दिनों का बना दिया। ई. पू. 46 में जूलियस सीज़र ने एक संशोधित पंचांग निर्मित किया था जिसमें प्रति चौथे वर्ष 'लीप वर्ष' की व्यवस्था थी। परन्तु उस पंचांग की गणनाएँ सही नहीं रहीं, क्योंकि सन् 1582 में 'वासन्तिक विषुव' 21 मार्च को न होकर 10 मार्च को हुआ था।
प्रमुख रखें गए नाम:-
ईसा के जन्म से 46 वर्ष पहले तक रोम साम्राज्य में रोमन कलॅण्डर प्रचलित था। वह 1 मार्च से प्रारंभ होता था। वर्ष में केवल 10 माह होते थे -
- मार्टिअस,
- एप्रिलिस,
- मेअस,
- जूनिअस,
- क्विंटिलिस,
- सैक्सिटिलिस,
- सेप्टेम्बर,
- अक्टूबर,
- नवंबर तथा
- दिसंबर
रोमन कैलेण्डर:- आज़ ईस्वी सन् का मूल रोमन संवत है। यह ईसा के जन्म के 753 वर्ष पहले रोमन नगर के स्थापना से प्रारंभ हुआ है।तब उसमें दस 10 माह थे जो कि मार्च से लेकर दिसम्बर तक था। जिसमें मुख्य तौर पर 304 का साल होता था। इसमें कुछ गड़बड़ीयां पाई गई थी पश्चात इसमें दो और माह जोड़े गए।
बाद में राजा नूमा पिम्पोलियस् ने जो दो माह जोड़े गए वो जनवरी-फरवरी था तब जाकर 10 से 12 महिने हुए फिर भी विसंगति दिखाई पड़ी जो साल पहले 304 दिन का था वह अब 355 दिन का हों गया। तब भी इसका साल में कोई मेल मिलाप नहीं था।
जूलियस सीज़र के सुधार:-
रोम के शासक जूलियस सीज़र ने रोमन कलैंडर में सुधार किया। ईस्वी पूर्व 44 में 'क्विंटिलिस माह' का नाम बदल कर जूलियस सीज़र के सम्मान में ‘जुलाई’ रख दिया गया। जूलियस सीजर ने कलैंडर को सुधारने में मिस्र के खगोलविद 'सोसिजेनीज' की मदद ली। वर्ष 1 जनवरी से शुरू किया गया। वर्ष का आरंभ बहुत पिछड़ चुका था। इसलिए उसने आदेश दिया कि ईस्वी पूर्व 46 में 67 दिन जोड़ दिए जाएं। इस तरह ई.पू. 46 में कुल 445 दिन हो गए। इससे भ्रांति बढ़ गई। इसलिए 445 दिनों के उस वर्ष को ‘भ्रांति वर्ष’ कहा जाता है। उसने यह भी आदेश दिया कि उसके बाद हर चौथे वर्ष को छोड़ कर प्रत्येक वर्ष 365 दिन का होगा। चौथा वर्ष लीप वर्ष होगा और उसमें 366 दिन होंगे। फरवरी को छोड़ कर प्रत्येक माह में 31 या 30 दिन होंगे। फरवरी में 28 दिन होंगे लेकिन लीप वर्ष में फरवरी में 29 दिन माने जाएंगे। अनुमान है कि 8 ईस्वी पूर्व में 'सम्राट ऑगस्टस' के नाम पर 'सेक्सटिलिस माह' का नाम ‘अगस्त’ रख दिया गया।
ग्रहों कि स्थिति से मेल-मिलाप नहीं होने के कारण जूलियस सीजर के आदेश पर इसमें संशोधन किया गया 365-1/4 दिन का आदेश पारित कर दिया गया और हर चौथे साल में फरवरी माह 28 दिन कि बजाएं 29 दिन का हो जाता है।
माह | दिन |
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फ़रवरी | 28 |
लीप ईयर /फ़रवरी | 29 |
माह | दिन |
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जनवरी | 31 |
मार्च | 31 |
मई | 31 |
जुलाई | 31 |
अगस्त | 31 |
अक्टूबर | 31 |
दिसंबर | 31 |
माह | दिन |
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अप्रैल | 30 |
जून | 30 |
सितम्बर | 30 |
नवम्बर | 30 |
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