राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छोटी सी दुनिया जानें क्या है राज ?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने प्रचारक के बारे में मुझे संक्षिप्त जानकारी है लेकिन फिर भी जितना पता है उतना इस विषय में लिखने की इच्छा हुई क्योंकि प्रचारक के समर्पित जीवन के बारे में लोगों को कम ही पता होता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में प्रचारक संघ की सबसे छोटी इकाई शाखा में होते हैं जो अलग अलग जगह संघ की शाखाओं को खोलने एवम संघ के लिए कार्य करते हैं। प्रचारक वह होते हैं जिसमें व्यक्ति संघ के साथ जुड़कर देश और समाज के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं। उनके लिए परिवार से पहले देश होता है।
संघ की मुख्य शाखा नागपुर में है और
सभी प्रचारक विभिन्न शाखाओं को नागपुर से जोड़ने का काम करते हैं
प्रचारक शहर, गांव में घूम घूम कर सामाजिक कार्य
करते हैं। प्रचारक को अपने किए कार्य के लिए दिखावा, प्रचार
या प्रसिद्ध होने की चाह नहीं होती।
एकदम सादा जीवन जीते हैं जिनको अपने
किए कार्य के लिए न वेतन मिलता है ना राजशाही सुविधाएं क्योंकि आरएसएस से जुड़े
सभी व्यक्ति सही अर्थों में जमीन से जुड़े हुए होते हैं और देशभक्ति परमोधर्म मंत्र का
पालन करते हैं।
मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद
जब लोगो को पता चला कि वो पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक थे तब भी लोगों
को आश्चर्य हुआ था।
प्रचारक के बारे में जब मुझे कैसे पता चला वो भी आपको बतलाती हूं।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बारे में बचपन से सुना था लेकिन कभी
खुद जानने या समझने की कोशिश नहीं की। इसलिए संघ में प्रचारक कौन होते हैं उसके
बारे में भी पता नहीं था। (ना आज से कुछ साल पहले मीडिया आरएसएस के लिए उदारवादी
था जिससे इस विषय में आसानी से पता चल पाता ।)
शादी के बाद पता चला कि पतिदेव भी कभी कभी आरएसएस की शाखा में जाते
थे लेकिन फिर नौकरी में ज्यादा समय देने के कारण धीरे धीरे उनका शाखा में जाना छूट
गया था।
मेरा छोटा भाई ने अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई के बाद अपने क्षेत्र में
खुद को स्थापित कर लिया तो उसके बाद उसने संघ के कार्यक्रमों में जाना शुरू कर
दिया था।
मुझे तो फोन पर ही भाभी या मम्मी से अक्सर पता चलता था कि -" आज आरएसएस के कोई प्रचारक भोजन पर आए थे या आज आरएसएस के कैंप के लिए भोजन
बनाकर देना है।"
मतलब मेरे लिए आम हो गई थी इस तरह भोजन की बात सुनना ।
मेरे पापा का व्यवहार बेटों के साथ एक आम भारतीय पिता की तरह ही है
और बेटियो के लिए प्रेम भरा। इसलिए जब तब भाई को उसकी लापरवाही के लिए पापा से
डांट भी पड़ती रहती है लेकिन मुझे आश्चर्य हुआ जब पापा ने भाई के आरएसएस की सभा
में जाने पर गुस्सा नही किया। जबकि पहले भैया केवल मम्मी और भाभी को बताकर धीरे से
निकल जाता था।
शायद 2015 की बात है, जब मैं मायके
में थी, उस दिन हम लोग कहीं शादी समारोह से वापस आए थे कि
भाई का फोन आया कि - मै दीपक भाईसाहब को भोजन के लिए
लेकर आ रहा हूं।( शायद संघ में सभी एक दूसरे को नाम के
साथ भाई साहब लगाकर कहते हैं)।
मम्मी ने कहा - कोई बात नहीं अभी बना देते हैं।
मुझे आश्चर्य हुआ कि.. न मम्मी न भाभी ने गुस्सा किया कि -
अभी तो हम खुद बाहर से खाना खाकर आए अब खाना क्यों बनाएं। थोड़ी देर बाद भाई,
दीपक भाईसाहब को लेकर आया। उन लोगों ने खाना खाया और फिर भाई उनको
छोड़ने चला गया।
मेरे लिए एक और आश्चर्य की बात थी कि.. न दीपक भाईसाहब हमारे डाइनिंग रूम में खाना खाने नहीं आए न
घर में महिलाओं से मिले। पापा से थोड़ी सी बातचीत हुई थी।
बाद में मैने भाई से पूछा कहां के रहने वाले हैं यह भाईसाहब.. तो
उसने बताया पुणे के रहने वाले हैं। तब मुझे पहली बार पता चला था कि प्रचारक अविवाहित होते हैं, अकेले रहते हैं, एकदम सादा जीवन जीते हैं।
आगे भाई ने जो बताया वो सुनकर मैं भावुक हो गई।
भाई ने बताया - संघ के अधिकांश प्रचारक अच्छे पढ़े लिखे
होते हैं, बहुत से उच्च शिक्षित जैसे इंजीनियर, एमबीए किए हुए, डॉक्टर भी होते हैं जो अघ्छी नौकरी
छोड़कर देश सेवा के लिए आ जाते हैं । इनमें से कुछ तो माता पिता की अकेली संतान होते
हैं। देश सेवा और समाज सेवा के लिए ये अपना घर छोड़ देते हैं। इन लोगों को कोई
वेतन नहीं मिलता लेकिन यह इतने समर्पित होते हैं कि ये दैनिक जीवन में भी बहुत
संयमित जीवन जीते हैं। इनको स्वयं के लिए दिखावा या सुविधाओं की आवश्यकता नहीं
पड़ती।
मुझे यह भी पता चला कि आजकल तो फिर भी शहर गांव में सुविधाएं मिलने
लगी हैं लेकिन कुछ सालों पहले तक तो यात्रा के दौरान
विश्राम की व्यवस्था ना होने पर प्रचारकों को अपनी रात मंदिर में भी गुजारनी पड़ती
थी और कई बार भोजन की व्यवस्था न होने पर केवल प्रसाद के सहारे ही रहना पड़ता था।
प्रचारक को अपने भोजन के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। जिस दिन किसी ने भोजन के लिए बुला लिया या कहीं से व्यवस्था हो गई तो ठीक
वरना खुद आगे रहकर किसी को कहते हैं कि आज के भोजन की व्यवस्था आप कर देना।
जैसे मेरा भाई वैसे तो स्वयं ही प्रचारक वाले भाई साहब यदि शहर में
हैं तो, उनको बुला लेता है लेकिन फिर भी उनको कह रखा है कि
आपकी जब भी भोजन व्यवस्था न हो तो बिना संकोच के किसी भी समय बोल दीजिएगा। इसलिए
कई बार भाई साहब स्वयं भोजन का कह देते हैं।
इतने आश्चर्य की बात लगी मुझे कि ऐसे समाजसेवी भी होते हैं जिन्हें भोजन खुद मांगकर खाना पड़ता है। उसके बाद भी ये लोग कभी समाज विरोधी, देश विरोधी काम नहीं करते बल्कि बिना दिखावे के समाज के कार्य में लगे रहते हैं
कुछ समय से मीडिया में बाढ़ ग्रस्त, प्राकृतिक आपदा
वाले क्षेत्रों में आरएसएस की सहायता की तस्वीर आने लगी है जबकि यह संगठन सालों से
इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं में समाज सेवा में योगदान देता रहा है।
पिछले साल लॉक डाउन के समय भी देश के अलग अलग हिस्सों की तरह हमारे शहर में भी निम्न वर्ग के लोगों की मदद की गई थी। मेरा भाई जो सेवा भारती से जुड़ा है, उन लोगों ने रोज 500–600 लोगों का तीन समय का भोजन बनाकर मजदूर और अन्य लोगों को बांटते थे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में विचार इसी मंच में दिया था
ख़ैर फिर उसी को पुनः प्रक्षेपित कर रहा हूँ . :
संघ की शाखाओं का Placement देखकर Cambridge, Harvard, Oxford, IIM, IIT, BIT, NIT और पूरी दुनिया हैरान..
- राष्ट्रपति,,,,
- प्रधानमंत्री,,,,
- गृहमंत्री,,,
- उपराष्ट्रपति,,,
- लोकसभा सभापती
और
- 18 मुख्यमंत्री,,,,
- 29 राज्यपाल,,,,
- 1 लाख शाखाएं,,,,
- 15 करोड़ स्वयंसेवक,,,,
- 2 लाख सरस्वती विद्यामंदिर,,,,
- 5 लाख आचार्य,,,,
- एक करोड़ विद्यार्थी,,,,
- 2 करोड़ भारतीय मजदूर संघ के सदस्य,,,,
- 1 करोड़ ABVP के कार्यकर्ता,,,,
- 15 करोड़ बीजेपी सदस्य,,,,
- 1200 प्रकाशन समूह,,,,
- 9 हजार पूर्णकालिक एवं,,,,
- 7 लाख पूर्व सैनिक परिषद,,,,
- 1 करोड़ विश्व हिन्दू परिषद् सदस्य (पूरे विश्व में),,,,
- 30 लाख बजरंग दल के हिन्दुत्व सेवक,,,,
- 1.5 लाख सेवाकार्य,,,,,
- 18 राज्यों में सरकारें,,,,
- 292 लोकसभा सांसद,,,,
- 58 राज्यसभा सांसद,,,,
- 1460 विधायक,,,,
- वनवासी कल्याण आश्रम,
- वनबंधु परिषद,
- संस्कार भारती,
- विज्ञान भारती,
- लघु उद्योग भारती,
- सेवा सहयोग,
- सेवा इंटरनॅशनल,
- राष्ट्रीय सेविका समिती,
- आरोग्य भारती,
- दुर्गा वाहिनी,
- सामाजिक समरसता मंच,
- ऑर्गनाजर,
- पांच्यजन्य,
- श्रीरामजन्म भूमी मंदिर निर्माण न्यास,
- दीनदयाळ शोध संस्थान,
- भारतीय विचार साधना,
- संस्कृत भारती,
- भारत विकास परिषद,
- जम्मूकाश्मीर स्टडी सर्कल,
- दृष्टी संस्थान,
- हिंदू हेल्पलाईन,
- हिंदू स्वयंवसेवक संघ,
- हिंदू मुन्नानी,
- अखिल भारतीय साहित्य परिषद,
- भारतीय किसान संघ,
- विवेकानंद केंद्र,
- तरुण भारत,
- अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत,
- हिंदुस्थान समाचार,
- विश्व संवाद केंद्र,
- जनकल्याण रक्तपेढी,
- इतिहास संकलन समिती,
- स्त्री शक्ती जागरण,
- एकल विद्यालय,
- धर्म जागरण,
- भारत भारती,
- सावरकर अध्यासन,
- शिवाजी अध्यासन,
- पतित पावन संघटना,
- हिंदू एकता
ये कांग्रेस या कम्युनिस्ट पार्टी नहीं है जो इतनी जल्दी इसकी जड़े
हिल जाएँगी,,,, बड़े बड़े सूरमा RSS मुक्त
भारत के सपने देखते देखते दुनिया से ही चले गए। 99 साल का
आरएसएस आने वाले हजारो साल तक भारतवर्ष की सेवा करेगा।
परम: वैभवम ने तुम्हे तत्व राष्ट्रम:।
भारत माता की जय!!!
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