आरएसएस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक कार्यक्रम "वन संचार" |
आरएसएस में एक कार्यक्रम होता है वन संचार, जंगल में जाकर वहा का आनंद लिया जाता है | तो आइए जानते है कैसे मानतें है वन संचार एक-एक करके बारी-बारी से जानतें है की वन संचार कैसे आयोजित किया जाता है और कैसे इस कार्यक्रम की रूप रेखा तैयार की जाती है |
सबसे पहले संघ की शाखा में योजन बनाई जाती है वन संचार करना है | जैसे हम सभी आम लोग भी करतें है | जैसे किसी कार्यक्रम की योजना बनातें है | शुरू होता है वन संचार का आयोजन सभी संघ के स्वयंसेवक एक स्थान पर एकत्रित होते है जो एक निश्चित स्थान पर एकत्र आना होता है | फिर नियत स्थान जहा पर जाना है उसके लिए स्वयं के वाहन से वहां जाया जाता है | वैसे तो वाहन में सायकिल या फिर मोटर सायकिल का उपयोग किया जाता है | कभी-कभी पैदल यात्रा भी की जाती है | सुविधानुसार |
नियत स्थान पर पहुँचाना :- वैसे तो वन संचार के लिए उपयुक्त स्थान वन की आभा हो और वन जैसा लगे ऐसे स्थान को उपयुक्त स्थान कहाँ जाता है | उस स्थान के लियें चयन जरुरी है क्युकी बिना चयन और बिना देखे तय नही किया जा सकता इसलिए स्थान पर शौध करने के बाद ही स्थान को तय किया जाता | ठीक समय पर सभी को पहुँचाना पड़ता है | जो समय तय हुआ है |
कार्यक्रम आयोजन :- नियत स्थानपर पहुँचाने के बाद तय कार्यक्रम का आयोजन जिसमे खेल प्रतियोगिता परम्परागत खेलों को का आयोजन जिसमें साहसिक खेल,बोद्धिक खेल जो मानसिक कसरत भरें भी हो सकतें है | भारत में ऐसे परम्परागत खेल की लम्बी श्रृंखला है |
जैसे की खेल :
कबड्डी ,तैराकी , दौड़ के कई प्रकार हो सकतें है |
सहायता करने को प्रेरित करने वाले खेल | साहसिक खेल,पेड़ों के खेल ,पहाड़ों वाले खेल
खेत खलिहान के भी बहुत खेल होतें है | वैसे कई प्रखर के खेल हमारें यहाँ खेले जातें है |
अब यहाँ पर वन संचार नाम दिया ही तो वन का भ्रमण करें बिना वन का संचार संभव नही है | इसलिए वन का भ्रमण किया जाता है और उसका भरपूर आनंद लिया जाता है वन में घुमाना ही साहस का काम है |
सभी कार्यक्रम के बाद संघ की औपचारिकता का कार्य किया जाता है जिसमे संघ की शाखा लगाकर संघ प्रर्थाना की जाती है | भारत माता की जय के पश्यात ||
भोजन का कार्यक्रम :- इतना घुमने और भ्रमण करने के बाद यदि शरीर को थकावट और भोजन मिल जाएँ तो फिर तो सोने पे सुहागा हो जाएँ इसलियें इसलिए भोजन का इंतजाम किया जाता है और इस इंतजाम के लियें सभी से पहले ही पैसे लिए जा चुके है क्युकी बिना अर्थ सब व्यर्थ है पैसे सभी से बराबर लिए गये है और उसी पैसे से भोजन का प्रबंध किया गया है | भोजन किया जाता है तत्पश्यात थोडा सा सुस्ता लिया जाता है | फिर सभी अपने गंतव्य की और प्रस्थान करतें है |
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