राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कि प्रमुख उपलब्धियां।
भारत विभाजन के समय राहत बचाव कार्य :-
1947 में भारत विभाजन कि विभिषिका में संघ के स्वयंसेवकों ने दिन-रात मेहनत कर दंगा पीड़ितों कि मदद कि उनकी रक्षा कि ऐसी अनेक घटनाएं हुईं जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने अपनी जान गंवाई लोगों को बचाया राहत कार्य किए शिविर लगाएं जिसमें पाकिस्तान से पलायन कर आएं हिन्दुओं और सिखों को राहत सामग्री पहुंचाई।
कराची, लाहौर,शेखूपूरा, रावलपिंडी,स्यालकोट, संकड़ों नहीं हजारों कार्यकर्ताओं ने अपनी जान गंवाई और लोगों को बचाकर लाएं जिनका घर, परिवार सब उजड़ गया था। भारत विभाजन कि विभिषिका हमें बताई नहीं गई है।
संघ के स्वयंसेवकों ने अपना बलिदान देकर सेवा कार्य किया निस्वार्थ भाव से किन्तु कहीं पर भी इनका उल्लेख नहीं मिलता है।
कुछ पुस्तकों का नाम में यहां उपलब्ध करवा रहा हूं आप इन्हें अवश्य पढ़ें - भारत विभाजन कि विभिषिका,न फूल चढ़े न दिप जले, भारत विभाजन का दुखान्त, विभाजन कि काली रातें, और देश बंट गया, The Partition of India
भारत चीन युद्ध में भूमिका:-
संघ की उपस्थिति भारतीय समाज के हर क्षेत्र में महसूस की जा सकती है जिसकी शुरुआत सन 1925 से होती है। उदाहरण के तौर पर सन् 1962 के भारत-चीन युद्ध में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू संघ की भूमिका से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने संघ को सन 1963 के गणतंत्र दिवस की परेड में सम्मिलित होने का निमन्त्रण दिया। केवल दो दिनों की पूर्व सूचना पर तीन हजार से भी ज्यादा स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में वहाँ उपस्थित हो गये।
दादरा, नगर हवेली, और गोवा का वि-उपनिवेशीकरण:-
दादरा, नगर हवेली और गोवा के भारत विलय में संघ की निर्णायक भूमिका रही। 21 जुलाई 1954 को दादरा को पुर्तगालियों से मुक्त कराया गया, 28 जुलाई को नरोली और फिपारिया मुक्त कराए गए और फिर राजधानी सिलवासा मुक्त कराई गई। संघ के स्वयंसेवकों ने 2 अगस्त 1954 की सुबह पुतर्गाल का झंडा उतारकर भारत का तिरंगा फहराया, पूरा दादरा नगर हवेली पुर्तगालियों के कब्जे से मुक्त करा कर भारत सरकार को सौंप दिया।
गोवा मुक्ति संग्राम:-
इसी प्रकार संघ के स्वयंसेवक 1955 से गोवा मुक्ति संग्राम में प्रभावी रूप से शामिल हो चुके थे। गोवा में सशस्त्र हस्तक्षेप करने से जवाहरलाल नेहरू के इनकार करने पर जगन्नाथ राव जोशी के नेतृत्व में संघ के कार्यकर्ताओं ने गोवा पहुंच कर आंदोलन शुरू किया, जिसका परिणाम जगन्नाथ राव जोशी सहित संघ के कार्यकर्ताओं को दस वर्ष की सजा हुई। हालत बिगड़ने पर अंततः भारत को सैनिक हस्तक्षेप करना पड़ा और 1961 में गोवा स्वतन्त्र हुआ।
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