संघनीव में विसर्जित पुष्प "संघ प्रचारक" का विवरण |

संघनीव में विसर्जित पुष्प 

जिस प्रकार से बंजर भूमि को उपजाऊ और फ़सल लहलाहने के लिए कठिन परिश्रम और पुरुषार्थ कि आवश्यकता होती है वैसे ही किसी कार्य को विकेन्द्रीयकरण और मजबूत बनाने के लिए व्यक्तिगत जीवन को खपाना पड़ता है।


हमारे देश में वेसे तों पुरुषार्थ करने वाले व्यक्ति और व्यक्तित्व कि कोई कमी नहीं है देश और समाज के लिए हर परिस्थिति में खून का पानी बनाने वाले पुरुषार्थवादी लोगों का जमावड़ा रहा है प्राचीन काल से लेकर वर्तमान समय तक अनेकों उदाहरण मिल जाएंगे किन्तु अनेकों ऐसे उदाहरण है जिनका अस्तित्व हे हि नहीं वैसे ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्रवादी विचारधारा के संगठन में भी सम्पूर्ण जीवन कि आहूति चढ़ा देना ही परम कर्तव्य समझा उनमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक सबसे अग्रणी रहें हैं।

किसी भी वृक्ष को फलदार बनाने के लिए दिन रात मेहनत कर उस पौधे को फलदार वृक्ष बनाने के लिए उसमें लालन पालन करने वाले को सबसे ज्यादा स्थान सम्मान दिया जाता है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी ऐसे ही छोटे से अंकुर के रूप में सन् 1925 में अंकुरित हुआ आज़ पूरे भारतवर्ष को राष्ट्रभक्ति के भाव से लहलहा दिया है सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाले संघ के कुछ कुछ प्रचारक हुए हैं जिन्हें संघनीव में विसर्जित पुष्प कहां गया है तों आइए जानते हैं वे कौन कौन से प्रचारक हैं जिन्होंने पूरा जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पोषित करने में लगा दिया।

संघनीव में विसर्जित पुष्प 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वे स्तम्भ रहे है जिन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को रक्त से सींच है अथक परिश्रम और निश्तन से संघ का कार्य किया, जो विराट स्वरुप आज संघ का दिख रहा है विभिन्न क्षेत्रों में संघ पहचान और पकड़ और विचारधार का असर दिख रहा है वो सभी इन संघ नीव में विसर्जित पुष्प में  में जीवन जलने वाले कर्मयोगियों के परिश्रम का परिणाम है |

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