राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का 1925 से वर्तमान तक संक्षिप्त इतिहास I


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का घटनाचक्र १९२५ से लेकर वर्तमान..!!

 1940                 

वीर सावरकर ने पुणे प्रांतिक बैठक को संबोधित किया। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने डॉक्टरजी से मिलकर बंगाल के हिंदुओं की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त की। 9 जून डॉक्टरजी ने नागपुर तृतीय वर्ष शिक्षार्थियों को समापन पर संबोधित किया। यह उनका अंतिम भाषण  सिद्ध हुआ। इस वर्ग में देश के सभी प्रांतों से स्वयंसेवक शिक्षार्थी के रुप में आए थे।सुभाषचंद्र बोस से 19 जून को डॉक्टरजी की भेंट पर डॉक्टरजी के बीमार अवस्था के कारण दर्शन करके वापसी। 21 जून डॉक्टरजी का देहावसान। जुलाई श्री. माधव सदाशिव गोलवलकर श्री गुरुजी’ को सरसंघचालक घोषित किया गया।

 1942                   

कांग्रेस द्वारा भारत छोड़ो’ आंदोलन। कई स्वयंसेवकों ने उसमें सक्रीय सहभाग दिया। अष्टी-चिमूर में स्वयंसेवकों का बलिदान। रामटेक के नगर कार्यवाह श्री. बालासाहब देशपांडे को फांसी की सजा (बाद में सामूहिक छूट में उनकी यह सजा रद्द हो गयी)।

 1946                   

16 अगस्त मुस्लिम लीग का डायरेक्ट एक्शन’ आंदोलन। कलकत्ता में 5,000 हिंदुओं की हत्या तथा 15,000 जख्मी।

  1947                      

3 जून काँग्रेस ने विभाजन का प्रस्ताव स्वीकार किया। हिंदू समाज तथा स्वयंसेवकों को यह जबरदस्त आघात लगा। विभाजन की अपरिहार्यता देखकर संघ ने हिंदुओं को मुस्लिम अत्याचारों से बचाने पर लक्ष्य केंद्रित किया। 300 से भी अधिक सहायता शिबिर हिंदू शरणार्थियों के लिए चलाए।
15 अगस्त भारत स्वाधीन हुआ।16 सितम्बर गांधी जी ने दिल्ली में 500 स्वयंसेवकों को संबोधित किया।
18 अक्तूबर श्री गुरुजी ने कश्मीर महाराजा हरिसिंह से भेंट करके उन्हें भारत में कश्मीर के विलय का आग्रह किया।आर्गनाईजर तथा पाञ्चजन्य साप्ताहिकों का प्रारंभ।

 1949                      

12 जुलाई सरकार ने संघ पर लगा हुआ प्रतिबंध बिना शर्त हटाया।13 जुलाई श्री गुरुजी कारावास से मुक्त। पुरे भारत की परिक्रमा में जनता ने उनका स्थान-स्थान पर भव्य स्वागत किया।

 1950                       

26 जनवरी भारत प्रजासत्ताक घोषित हुआ। श्री गुरुजी ने स्वयंसेवकों को इस का स्वागत करने के लिए कहा।मार्च प्रथम अखिल भारतीय प्रतिनिधी सभा की बैठक संपन्न। श्री भैय्याजी दाणी सरकार्यवाह चुने गए। पाकिस्तान से आए हुए हिंदू शरणार्थियों के लिए वास्तुहारा सहायता समिती का गठन। पुरे देशभर से सहायता एकत्र करके पहुँचायी गई।असम में भुकंप तथा बाढ़। स्वयंसेवकों द्वारा राहत कार्य।

 1952                     

गोरक्षा आंदोलन का प्रारंभ। स्वयंसेवकों ने 1,75,39,813 स्वाक्षरियों का पुरे देशभर से संग्रह किया। 
महामहीम राष्ट्रपति महोदय को यह स्वाक्षरी संग्रह 8 दिसम्बर को प्रस्तुत किया गया।जशपुर में वनवासी कल्याण आश्रम प्रारंभ।डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में भारतीय जनसंघ की स्थापना। कई स्वयंसेवक जनसंघ में सहभागी हुए।स्वातंत्र्य वीर सावरकर के द्वारा भारत के स्वतंत्रता के लिए स्थापित अभिनव भारत’ के समापन कार्यक्रम में श्री गुरुजी सहभागी हुए।

 1953                     

3 जून श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी की काश्मीर के कारावास में अचानक मृत्यु। प्रजा परिषद के सत्याग्रह में सहभाग के कारण वे कारावास में थे।

 1954                      

2 अगस्त दादरा नगर हवेली को पुर्तगालियों के कब्जे से स्वयंसेवकों ने मुक्त किया तथा भारत सरकार को सौंप दिया।

 1955                     

  1. गोवा मुक्ति संग्राम में स्वयंसेवकों का प्रभावी सहभाग।
  2. भारतीय मजदूर संघ की स्थापना

 1956                     

श्री एकनाथजी रानडे सरकार्यवाह निर्वाचित हुए। श्री गुरुजी के 51वें वर्धापन दिन के निमित्त से संघ का व्यक्ति-व्यक्ति से संपर्क कर के संघ का संदेश सुनाने का अभियान।चीन के आक्रमण के बारें में भारत को सचेत करने वाला श्री गुरुजी का वक्तव्य।

 1962                   

चीन द्वारा भारत पर खुला आक्रमण। संघ ने सरकार को तथा विशेषतः जवानों को हर प्रकार की 
सहायता करने के लिए स्वयंसेवकों को सक्रिय किया। जनरल करिअप्पा की संघ शाखा को भेंट।
श्री भैय्याजी दाणी फिर से सरकार्यवाह पद पर निर्वाचित।

 1963                   

संघ को 26 जनवरी के संचलन में सहभागिता का निमंत्रण। अल्प अवधी में 3,000 स्वयंसेवक गणवेश तथा घोष के साथ संचलन में सहभागी हुए। विवेकानंद जन्मशताब्दि प्रारंभ। कन्याकुमारी में विवेकानंद का भव्य स्मारक बनाने की योजना को संघ का समर्थन। श्री गुरुजी की नेपाल भेंट मेंनेपाल महाराजा से हिंदु हित के विषयों पर चर्चा।

 1964                  

विश्व हिंदू परिषद की स्थापना।

 1965                  

पाकिस्तान का भारत पर आक्रमण। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री द्वारा श्री गुरुजी को सर्वदलीय सम्मेलन में सहभागिता का निमंत्रण। सम्मेलन में श्री गुरुजी द्वारा सभी प्रकार से पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन। युद्ध के 22 दिनों तकदिल्ली मेंयातायात नियंत्रण जैसे आवश्यक नागरी कार्यों में स्वयंसेवकों का सहभाग। स्वयंसेवकों द्वारा सभी आवश्यक स्थानों पर रक्तदान। श्री. मधुकर दत्तात्रय - बालासाहब - देवरस संघ के सरकार्यवाह पद पर चुने गए।नागपुर-विदर्भ का प्रांतिक शिबिर 5,000 स्वयंसेवकों का सहभाग।बंगलोर में राष्ट्रोत्थान परिषद की स्थापना।

 1966                   

  • बिहार में अकाल। श्री जय प्रकाश नारायण द्वारा संघ के राहत कार्यों की सराहना।
  • प्रथम विश्व हिंदु सम्मेलन प्रयाग में संपन्न।

 1967                   

महाराष्ट्र प्रांतिक शिबिर में 10,000 स्वयंसेवक उपस्थित।

 1968                   

मध्यभारत प्रांतिक शिबिर शाजापुर में।

 1971                   

  • विदर्भ-नागपुर प्रांतों का प्रांतिक शिबिर संपन्न। 10,000 स्वयंसेवक उपस्थित।
  • पाकिस्तान से युद्ध। स्वयंसेवकों ने नागरी सहायता कार्यों में पूरा सहयोग किया।

 1972                   

दीनदयाल शोध संस्थान का शिलान्यास समारोह दिल्ली में श्री गुरुजी के हाथों से हुआ।
बाबासाहब आपटे का देहावसान। कन्याकुमारी में विवेकानंद शिला न्यास का महामहिम राष्ट्रपति वी.वी. गिरी द्वारा अनावरण।महाराष्ट्र के 4500 गाँव तीव्र अकाल से ग्रस्त। महाराष्ट्र दुष्काल विमोचन समिति’ के माध्यम से स्वयंसेवकों ने राहत पहुँचायी।अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत की स्थापना।

 1973                    

  • 5 जून श्री गुरुजी का देहावसान।
  • 6 जून श्री बालासाहब देवरस तृतीय सरसंघचालक के दायित्व पर मनोनित।
  • श्री माधवराव मुले सरकार्यवाह चुने गए।

 1974                  

छत्रपति शिवाजी के राज्याभिषेक के 300वें वर्ष पर संघ द्वारा पूरे भारत में कार्यक्रमों का आयोजन।

 1975                 

25 जून श्रीमती इंदिरा गांधी ने भारत में आपातकाल लागू करने की घोषणा की। 27 जून श्री बालासाहब देवरस ने एक पत्रक द्वारा आपातकाल की चुनौती को स्वीकारने का स्वयंसेवकों को आवाहन किया।
4 जुलाई संघ पर दुसरा प्रतिबंध। देशभर में संघ के 1356 प्रचारकों में से 189 को कारावास भेजा गया। 
सरसंघचालक श्री देवरस सहित कई कार्यकर्ताओं को कारावास।लोक संघर्ष समिति की स्थापना। लो. सं.समिति द्वारा आयोजित आपातकाल विरोधी संघर्ष में, 1 लाख से भी ज्यादा स्वयंसेवकों का सत्याग्रह तथा कारावास।

 1977                

भारतीय जनसंघ का जनता पार्टी में विलय। चुनावों में काँग्रेस को पराभूत कर जनता पार्टी सत्ता में।
22 मार्च संघ पर प्रतिबंध हटा। श्री राजेन्द्र सिंह-रज्जूभैय्या को संघ के सहसरकार्यवाह के दायित्व पर मनोनित किया गया। 3 नवम्बर पटना में संघ स्वयंसेवकों के सामने लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी का उद्बोधन। 3 से 5 नवम्बर पंजाब प्रांत का प्रांतिक शिबिर संपन्न। दिसम्बर तटीय आंध्र प्रदेश को चक्रवात का झटका। बड़ी मात्रा में जीवन की हानि। विपरीत परिस्थितियों में राहत कार्य करते हुए स्वयंसेवकों ने 2,40,000 कपड़े तथा 32,000 बर्तन संच वितरित किए। वैद्यकीय सुविधा तथा भोजन वितरण किया।

 1978                 

30 सितम्बर सरकार्यवाह श्री माधवराव मुलेका देहावसान। श्री राजेंद्र सिंह जी नए सरकार्यवाह बने।
मध्यभारत प्रांत शिबिर इंदौर में आयोजित। 6,000 स्वयंसेवक उपस्थित। मई में राजस्थान के भरतपुर जिले में भारी बाढ़। राहत कार्यों में स्वयंसेवकों ने भोजन वितरण तथा 3,000 गरम कंबल(Blankets) वितरित किए।भारतीय किसान संघ की स्थापना।

 1979                 

द्वितीय विश्व हिंदू सम्मेलन। दलाई लामा तथा विश्व के कई मान्यवर हिंदू धर्म गुरुओं का सहभाग।
अगस्त में मोरवी के नजदीक मच्छू बांध के फटने से मोरवी में प्रलय। स्वयंसेवकों ने शीघ्र राहत पहुँचाते हुए 12,000 परिवारों की आवश्यक सहायता की।

 1980                 

संघ का व्यापक जन संपर्क अभियान। 95,000 गाँवों में 1 करोड़ परिवारों से संपर्क किया।

 1981                

मीनाक्षीपुरम्तमिलनाडु में 800 हिंदुओं का इस्लाम में सामूहिक मतांतरण। विविध हिंदू संघटनों के साथ संघ ने इसका विरोध किया तथा मतांतरण के खतरे के बारे में पुरे भारत में जनजागृति अभियान में सहभाग दिया। संस्कार भारती का गठन।

 1982                 

कर्नाटक प्रांतिक शिबिर का बंगलोर में आयोजन 25,000 स्वयंसेवकों की उपस्थिति।

 1983                  

विश्व हिंदु परिषद द्वारा पुरे देश में एकात्मता यज्ञ रथ यात्रा का आयोजन। स्वयंसेवकों का सक्रिय सहभाग।13 से 15 जनवरी महाराष्ट्र प्रांत का प्रांतिक शिबिर आयोजित। 35,000 स्वयंसेवक उपस्थित। असम में जातीय दंगे। स्वयंसेवकों ने 5,000 से भी अधिक दंगा ग्रस्त परिवारों की सहायता की।

 1984                  

अक्तूबर श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुई हिंसा में सिक्ख बंधुओं की बड़ी हानि। स्वयंसेवकों ने अपने घरों में आश्रय देकर तथा राहत शिबिर चलाकर सीक्ख बंधुओं की सहायता की।

 1985                  

संघ के 60 साल पुरे होने के उपलक्ष्य में व्यापक जनसंपर्क अभियान।

 1986                   

त्रिवेंद्रम में हिंदु संगम का आयोजन।संघ के कार्यकारी मंडल द्वाराखालिस्तानवादी आतंकवादियों के हिंसा का निषेध। सिक्ख तथा अन्य हिंदुओं में सामंजस्य का आवाहन।राष्ट्रीय सिक्ख संगत की स्थापना।

 1987                  

66 दिसम्बर सरसंघचालक श्री. देवरस जी का मुंबई चैत्यभूमि में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की स्मृति को अभिवादन।शेषाद्रिजी सरकार्यवाह चुने गए। गुजरात में पड़े अकाल से 18,000 में से 15,000 गाँव पीड़ित। सहायता पहुँचाने के लिए स्वंयसेवकों ने दुष्काल पीड़ित सहायता समिती बनायी। व्यापक सहायता के साथ गोवंश की रक्षा पर विशेष ध्यान दिया। 123 राहत केंद्रों में 1,45,310 गोवंश का रक्षण किया।

 1988                  

डॉ. हेडगेवार जन्मशताब्दि निमित्त व्यापक जनसंपर्क अभियान, 76,000 सभाएँ तथा 15 करोड़ लोगों से संपर्क। डॉ. हेडगेवार स्मारक सेवा समिती द्वारा सेवा कार्यों के लिए 11 करोड़ का धन संकलन।

 1990                  

30 अक्तूबर मुलायम सिंह शासन के सारे प्रतिबंधो के बावजूद अयोध्या में कारसेवा।

 1992                  

  • 14 मई श्री. भाऊराव देवरस का देहावसान।
  • 20 अगस्त श्री यादवराव जोशी का देहावसान।
  • 6 दिसम्बर बाबरी ढांचा कारसेवकों द्वारा ध्वस्त।
  • 10 दिसम्बर संघ पर तृतीय प्रतिबंध।
  • अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद का गठन।

 1993                  

4 जून शासन द्वारा नियुक्त न्यायाधिकरण ने संघ पर प्रतिबंध को गलत ठहराते हुए निरस्त किया।अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद का गठन।

 1994                  

  • 11 मार्च प्रो. राजेंद्र सिंह - रज्जूभैय्या - सरसंघचालक घोषित हुए।
  • संघ के अखिल भारतीय सेवा विभाग का प्रारंभ।
  • लघु उद्योग भारती का गठन।

 1996                  

17 जून श्री बालासाहब देवरस का देहावसान।नवम्बर आंध्र के गोदावरी जिले पर तीव्र चक्रवात का आघात। 900 लोगों की मृत्यु तथा भीषण हानि।जन संक्षेम समिती द्वारा संघ का राहत कार्य। हरियाणा में चरखा-दादरी में विमान दुर्घटना ग्रस्त, 350 प्रवासियों की मौत। तत्काल सहायता करने वालों में संघ के स्वयंसेवकों की भूमिका की मीडिया द्वारा सराहना।

 1998                  

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की 50वीं वर्ष पूर्ति पर मुंबई में अधिवेशन।
20, 21, 22 नवम्बर मेरठ समरसता संगम’ शिबिर में 5,200 गांवों से 51,200 स्वयंसेवक उपस्थित।

 1999                 

6 अगस्त NLFT के आतंकवादियों ने त्रिपुरा में चार संघ कार्यकर्ताओं का अपहरण किया 2 करोड़ की फिरौती की माँग की। बाद में चारों को मार दिया गया।
28 अक्तूबर इस शतक के सबसे विध्वंसकारी चक्रवात से तटीय उड़िसा आहत हुआ।
10,000 लोगों की मौत हो गयी। उत्कल बिपन्न सहायता समिती के माध्यम से स्वयंसेवकों ने राहत कार्य के लिए भरसक प्रयास किए।

 2000                  

जनवरी गुजरात प्रांत का 3 दिवसीय प्रांतिक शिबिर, ‘संकल्प शिबिर’ संपन्न 16,000 स्वयंसेवक गणवेश में सहभागी।10 मार्च श्री के. एस. सुदर्शनजी सरसंघचालक मनोनीत हुए। श्री मोहनजी भागवत सरकार्यवाह के दायित्व पर चुने गए।संघ की 75वीं वर्ष पूर्ति परसंघ का संदेश हर घर तक पहुँचाने के लिए व्यापक संपर्क अभियान।अक्तूबर आगरा में ब्रज प्रांत का राष्ट्र रक्षा महाशिबिर 49,000 स्वयंसेवकों का सहभाग।

 2001                  

26 जनवरी गुजरात में बहुत भयंकर भूकंप। प्रारंभ से लेकर परिस्थिती सामान्य होने तक स्वयंसेवक सेवा कार्यों में सक्रीय। विविध प्रकार के कार्यों में 35,000 से भी ज्यादा स्वयंसेवक सक्रिय।जयपुर में राष्ट्र शक्ती संगम’ नाम से स्वयंसेवकों का पथ संचलन। 51,000 स्वयंसेवक सहभागी।

 2002                 

दक्षिण कर्नाटक का प्रांतीय शिबिर समरसता संगम’ बंगलोर में हुआ। 39,000 स्वयंसेवक उपस्थित।17 नवम्बर दिल्ली में 25,000 स्वयंसेवकों का गणवेश में सम्मेलन।

 2003                 

  • श्री मोरोपंत पिंगले का देहावसान।
  • श्री रज्जू भैय्या का देहावसान।
  • 10 फरवरी श्री चमनलाल जी का देहावसान।
डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार शीर्षक से डॉक्टर जी की जीवनी भारत सरकार द्वारा आधुनिक भारत के निर्माता’ मालिका में प्रकाशित।

 2004                 

श्री दत्तोपंत ठेंगड़ी जी का देहावसान।26 दिसम्बर सुनामी के कारण भारत के तटवर्ती क्षेत्रों में बड़ी हानि। केवल कुछ घंटों के बाद स्वयंसेवकों का राहत कार्य प्रारंभ।

 2005                 

  • श्री शेषाद्रि जी का देहावसान।
  • अखिल भारतीय दृष्टिहीन कल्याण संघ का राष्ट्रीय सम्मेलन।

 2006                 

अतिवृष्टि से सूरत में बाढ़। स्वयंसेवकों ने 4,000 बाढ़ ग्रस्त परिवारों की सहायता की।पूर्व आंध्र में बाढ़ के कारण पीड़ित 2,000 परिवारों के लिए संघ का राहत शिबिर।श्री गुरुजी जन्मशताब्दी के निमित्त पुरे देशभर में हिंदु सम्मेलनसमरसता बैठकों का आयोजन।

 2007                 

1857 की 150वीं वर्षगांठ पर विविध स्थानों पर संघ स्वयंसेवकों ने कार्यक्रम किए। तृतीय विश्व हिंदु सम्मेलन। श्री गुरुजी जन्मशताब्दी के देशभर के कार्यक्रमों का दिल्ली में विशाल हिंदु सम्मेलन से समापन। पुरे भारत में हिंदु सम्मेलनों में 1 करोड़ 60 लाख हिंदुओं का सहभाग। समरसता सम्मेलनों में 13,000 संत और विविध जाति संप्रदायों के 1,80,000 सामाजिक नेताओं का सहभाग।

 2017                 

१९२५ से चली अपनी दीर्घ यात्रा में संघ आज देश के शीर्ष और प्रभावी स्वयंसेवी संगठन के रूप में उभरा है। परन्तु इस कालखंड में काफी उतार चढ़ाव से संघ को गुजरना पड़ा है। समाज के सभी वर्गों से व्यक्तिगत संपर्क और ह्रदयपूर्वक संवाद की अपनी अनोखी कार्यपद्धति के कारण संघ ने बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना अत्यंत शांतिपूर्ण ढंग से किया है। आपातकाल के समय जनतंत्र की रक्षा के लिए संघर्षया वंचित वर्ग के लिए समाजसेवा के हजारो प्रकल्प खड़े करने की योजनाऐसे विविध विषयों पर कार्य करते समय भी संघ का लक्ष्य एक था। आगामी २०२४ लो लेकर संघ शताब्दी वर्ष मानाने की तैयारी कर रहा है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के १०० साल पुरे होनी वाले है |

  2019                
2019 में लोकसभा के चुनाव हुए जिसमे बीजेपी ने 300 सीटें जीती यह भारतीय जनता पार्टी का सबसे बड़ा लक्ष्य प्राप्त किया था | 

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