संघ का राजनीती के क्या सम्बन्ध है? भाजपा के साथ संघ का क्या रिश्ता है |

संघ का राजनीती के क्या सम्बन्ध है? भाजपा के साथ संघ का क्या रिश्ता है | 

व्यक्ति निर्माण और संगठन का जो कार्य संघ ने अपने हाथ में लिया हें, वह राजसत्ता से सम्भव नहीं है । इसलिए राजनिति में पहले से सक्रिय ऐसे संघ संस्थापक डाॅ. हेडगेवार जी ने राजनिति से अलग होकर कार्य आरम्भ किया है। देशभक्त और सामाजिक सरोकार समाज में निर्माण करना उसके माध्यम से संगठित लोकशक्ति के द्वारा राजसत्ता पर अंकुश लगाने का कार्य कर सकते हैं। इसलिए जाग्रत,संगठित लोकशक्ति के द्वारा राजसत्ता पर अंकुश रहें और नैतिकता पर आधारित साफ-सुथरी राजनिति देश में चले,ऐसा संघ चाहता है।

भाजपा के साथ संघ का क्या रिश्ता है?

किसी भी देश में समाज अपनी सुविधा के लिए व्यवस्थाएं खड़ी करता है । संघ सम्पूर्ण समाज के लिए कार्य करता है ।संघ के स्वयंसेवक ए राष्ट्रिय दृष्टिकोण लेकर समाज के विभिन्न बीच सक्रिय हैं।

    ऐसे 35 संगठनों के माध्यम से स्वयंसेवक समाज में काम कर रहा है। राजनितिक समाज का एक अंग होने के नाते स्वयसेवक इसमें भी सक्रिय हैं । ये सारे संगठन स्वायत्त और स्वतंत्र है। अपने कार्यक्रम, आर्थिक व्यवस्था ,सदस्यता निर्णय प्रक्रिया इन सबमें ये स्वतंत्र है। इन संगठनों में जुड़ने के लिए स्वयंसेवक होना अनिवार्य नही है। भारतीय जनता पार्टी का जो पूर्व स्वरुप था भारतीय जनसंघ, उसके संस्थापक डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी संघ के स्वयंसेवक नहीं थे। ऐसे संगठनों में सभी स्वयंसेवक बीच-बीच में एकत्र आते हैं। एक-दुसरे को अनुभव साझा करते है,परस्पर परामर्श करते हैं एक-दुसरे कि बात को समझते हैं और आवश्यक्ता पड़ने पर सहयोग भी करते हैं।

    देशहित में कार्य करने वाले संगठन या संस्था के‌ साथ इस तरह का सहयोग करता सहता है। संघ कि देश के विकास के लिए एक विशिष्ट अवधारणा, कल्पना‌ है। एक विचार है उस विचार से जो दल सहमत होते हैं । उस दल के साथ स्वयंसेवकों कि स्वाभाविक सहानुभुति और समर्थन जाता हैं। भाजपा संघ के इस विचार को साझा करती है और इसिलिए संघ के स्वयंसेवकों का स्वाभाविक समर्थन मिलेगा । परन्तु संघ किसी भी दल के लिए नहीं है देश के लिए काम करता है।


    संघ खुद को राजनिति से दूर रखता है ,तो बिजेपी के विरोधी संघ पर आरोप क्यों लगातें है।

    क्योंकि संघ कि ताकत उनकी इच्छा के खिलाफ बढ़ रही हो इसलिए । उन्होंने संघ को रोकने, बदनाम करने और समाप्त करने कि भरपूर कोशीश कि है, बावजूद संघ आगे बढ़ता गया संघ संस्थापक डाॅ. हेडगेवार जी कहा करते थे कि -'सबकों साथ लेकर चलने का प्रयास करना चाहिएं ' संघ के कार्यक्रम में हम सबको बुलाते हैं। केरल के कोल्लम मैं संघ का बड़ा कार्यक्रम हुआ था 92 हजार संघ के स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में आए थे,उनकी तैयारी में अस्थाई कार्यालय खोला था। उसके उद्घाटन के लिए कोल्लम के मेयर को संघ ने बुलाया था मेयर आए थे जो सीपीएम के थे। सीपीएम को प्राब्लम हुई थी तो उन पर कारवाई की थी तो उन्हें क्या दिक्कत थी की हमतो सबकों साथ लेकर चलते हैं।

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