सुदर्शन जी का व्यक्तित्व की रोचक घटना जब वे विभाग प्रचारक थे |

सहजता और सरलता

सहजता और सरलता सुदर्शन जी के स्वभाव में थी। 1964 में वे मध्यभारत के प्रांत प्रचारक बनाये गए। द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव गोळवलकर जी एक कार्यकर्ता-बैठक में आए थे। बैठक में शामिल कार्यकर्ताओं से श्री गुरूजी ने दो व्यक्तियों का परिचय कराया था। इनमें एक थे - पंडित दीनदयाल उपाध्याय, और दूसरे का परिचय कराते हुए उन्होंने कहा था ‘‘यह जो दुबला पतला लड़का माईक ठीक कर रहा है न, उसे माइक वाला मत समझ लेना। ये टेलिकम्युनिकेशन में इंजीनियर है और आज से आपका प्रांत प्रचारक है।’’


माइक सुधारने वाले वे व्यक्ति थे सुदर्शन जी. इससे पूर्व वे महाकौशल प्रांत में विभाग प्रचारक थे। प्रांत प्रचारक बनते ही उन्हेांने व्यापक प्रवास किया।

मध्यभारत में यदि आज संघ और संघ-प्रेरित संगठनों की मजबूत आधारभूमि है तो उसमें सुदर्शन जी का उल्लेखनीय योगदान है।कार्यक्षेत्र और कार्यकर्ताओं का आकलन करने और उन्हें कार्यविस्तार की दृष्टि देने की उनमें अद्भुत क्षमता थी।

संघ की सारी आर्थिक जरूरतें ही नहीं, बल्कि अनेकानेक सामाजिक कार्यों की जरूरतें भी वर्ष में एक बार स्वयंसेवकों द्वारा की जाने वाली गुरूदक्षिणा से ही पूरी होती हैं।उन दिनों पूरे प्रांत की गुरूदक्षिणा इतनी कम हुआ करती थी कि इतनी अल्प राशि में पूरे प्रांत के संगठन को चलाना कितना दुष्कर होता होगा, कितनी मितव्ययिता से काम करना पड़ता होगा और कितने अभावों में उस दौर के कार्यकर्ताओं ने काम किया होगा, इसकी सहज ही कल्पना की जा सकती है।

प्रेरकप्रसंग

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