राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS पर कब कब लगें आरोप।
आलोचनाएँ और आरोप
महात्मा गाँधी की 1948 में संघ के पूर्व सदस्य नाथूराम गोडसे ने उनकी हत्या कर दी थी जिसके बाद संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया। गोडसे संघ और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक भूतपूर्व स्वयंसेवक थे। बाद में एक जाँच समिति की रिपोर्ट आ जाने के बाद संघ को इस आरोप से बरी किया और प्रतिबंध समाप्त कर दिया गया।
संघ के आलोचकों द्वारा संघ को एक अतिवादी दक्षिणपंथी संगठन बताया जाता रहा है एवं हिंदूवादी और फ़ासीवादी संगठन के तौर पर संघ की आलोचना भी की जाती रही है। जबकि संघ के स्वयंसेवकों का यह कहना है कि सरकार एवं देश की अधिकांश पार्टियाँ अल्पसंख्यक तुष्टीकरण में लिप्त रहती हैं। विवादास्पद शाहबानो प्रकरण एवं हज-यात्रा में दी जानेवाली सब्सिडी इत्यादि सरकारी नीति उसके अनुसार इसके प्रमाण हैं।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में भगवा ध्वज अपनाने का पक्षधर
आरम्भ में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में तिरंगे के स्थान पर भगवा ध्वज को स्वीकार करने का पक्षधर था। संघ ने, अपने मुखपत्र "ऑर्गनाइज़र" के 17 जुलाई 1947 दिनांक के "राष्ट्रीय ध्वज" शीर्षक वाले संपादकीय में, "भगवा ध्वज" को राष्ट्रीय ध्वज स्वीकार करने की मांग की।
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