मां. डॉ. आबाजी थत्ते पूजनीय गुरुजी के निजी सचिव.
संघनींव में विसर्जित पुष्प मा. डॉ. आबाजी थत्ते पूजनीय गुरुजी के निजी सचिव.
सरसंघचालकजी संघ का केंद्र होते हैं। आबाजी सरसंघचालकजी की छाया के समान सहचर बनकर हमेशा रहे। वे लगभग 24 वर्ष प.पू. श्रीगुरुजी व बाद में तृतीय सरसंघचालक मा. बालासाहब देवरस के निजी सचिव रहे ।
उन्होंने मुंबई में मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया और डॉक्टरी की पढ़ाई करते समय 1939 में आबाजी का शिवाजी पार्क शाखा, मुंबई में संघ प्रवेश हुआ। शिवाजी पार्क की शाखा में उस समय दादासाहब आपटे, भास्कर राव सोलंकी, श्री राम साठे आदि स्वयंसेवक आते थे। डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करने के पश्चात् वे प्रचारक के रूप में निकले। प्रचारक बनाकर इनको बंगाल प्रांत में भेजा गया। उन दिनों बंगाल में संघकार्य कम था, किंतु शिवपुर, बरहामपुर, नवद्वीप और मालदा जैसे कुछ प्रमुख केंद्र थे, जहाँ संघ की अच्छी शाखाएँ चल रही थीं । आबाजी की नियुक्ति शिवपुर में की गई। आबाजी के स्वभाव, गुणवत्ता व कार्यशैली के प्रभाव से प्रचारक के रूप में अनेक कार्यकर्ता निकले । व्यक्ति की परख और अपने संपर्क से उसे संघकार्य में जुटाना, आबाजी की विशेषता रही ।
अतिरिक्त लेख
प्रमुख सरसंघचालक
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार संक्षिप्त जीवन परिचय.
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर (श्री गुरुजी)
- संघ के तृतीय सरसंघचालक "बालासाहेब" मधुकर दत्तात्रेय देवरस
- चतुर्थ सरसंघचालक प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पांचवें सरसंघचालक कुपहल्ली सितारमय्या सुदर्शन
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत
संघ पर लगे प्रथम प्रतिबंध के हटने पर कार्य की नई रचना में पूजनीय सरसंघचालक श्रीगुरुजी के परिचारक के नाते आबाजी की नियुक्ति हुई। वे श्रीगुरुजी के जीवनपर्यंत निजी सहायक रहे। आबाजी थत्ते अपनी आत्म-विलोपी वृत्ति के कारण सरसंघचालकजी के लिए छाया के रूप में ही थे।
संपर्क आबाजी का स्वभाव ही था । वे परिश्रमपूर्वक संपर्क किया करते थे। नागपुर कार्यालय में भोजनोपरांत विश्रांति लेने के बजाय संपर्क के लिए साइकिल, मोटरसाइकिल, जो भी वाहन उपलब्ध हो, उसे लेकर निकल पड़ते । नागपुर के कितने ही परिवार हैं, जिनमें ज्येष्ठ सदस्य के नाते उनका स्थान रहा है। देशभर के सैकड़ों परिवारों से उनका घनिष्ठ संपर्क रहा है ।
अंतिम दिनों में वे अ. भा. प्रचारक प्रमुख रहे । प्रचारकों को संस्कारित करने के अलावा उन्होंने ग्राहक पंचायत, सहकार भारती, राष्ट्र सेविका समिति आदि का मार्गदर्शन किया
संघ नीव में विसर्जित विसर्जित पुष्प
- डॉ केशव बलिराम हेडगेवार जी
- माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य श्रीगुरुजी
- मधुकर दत्तात्रेय देवरस उपाख्य बालासाहेब देवरस
- प्रोफेसर राजेन्द्र सिंह उपाख्य रज्जू भैया
- कुपहल्ली सीतारमैय्या सुदर्शन उपाख्य सुदर्शनजी
- बाबा साहेब आप्टे
- यादवराव जी जोशी
- श्री दिगम्बर राव तिजारे
- माधवराव मूले
- डॉ आबाजी थत्ते
- एकनाथ जी रानडे
- अप्पा जी जोशी
- पंडित दीनदयाल उपाध्याय
- पंडित बच्छराज व्यास
- ग्रहस्थ प्रचारक भैयाजी
Post a Comment