राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कि स्थापना क्यों करनी पड़ी डाक्टर हेडगेवार जी |
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्थापना
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर सन् १९२५ में विजयादशमी के दिन डॉ॰ केशव हेडगेवार द्वारा की गयी थी। मोहिते का बड़ा नमक स्थान पैर की गई जहा वर्तमान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुख्यालय हैं .
डाक्टर हेडगेवार ने ऐसे समय संघ कि स्थापना कि जब देश कि आजादी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन चल रहे थे, किन्तु डाक्टर हेडगेवार ने आंदोलन में भी भाग लेते थे और संघ कि स्थापना कर संघ के कार्य को भी गति दे रहें थे 1925-30 तक देश में बहुत ही विकट परिस्थिति से गुजर रहा था। ऐसे में संघ कि स्थापना भी बहुत चुनौतीपूर्ण से कम नहीं था कार्य विस्तार और विकास तथा देश में चल रहे स्वतंत्रता आन्दोलन में भी स्वयंसेवक को प्रेरित करना यह डाक्टर हेडगेवार के व्यक्तित्व का ही प्रताप था कि संघ 20-25 वर्षों में पूरे भारतवर्ष में फेल गया था लाहौर, कराची, कोलकाता, दिल्ली, पुणे, बंगलुरु,मेरठ, आगरा तमाम बड़े शहरों में संघ का बहुत बड़ स्तर पर कार्य विस्तार हुआ।
अतिरिक्त लेख
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कि स्थापना एक किसी ऐसे काम से होती है जिस पर लोगों ने हंसी उड़ाई मज़ाक बनाया कि छोटे छोटे बाल स्वयंसेवक बनाकर बच्चों के साथ डाॅक्टर केशव बलिराम हेडगेवार उनके साथ बैठक करता क्या करेगा ऐसा करके क्या होगा तमाम तरह कि बातें लोगों के मन में चलती थी डाक्टर हेडगेवार प्रतिदिन अपना काम करते रहते थे। बच्चों के मन में राष्ट्रभक्ति का भाव जगाते और कुछ बातें बताते ऐसे संघ कि स्थापना हुई और आज़ यह संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नाम से लोग जानते हैं। और आज दुनिया का सबसे बड़ा संगठन ताकतवर संगठन के रूप में पहचान बनाएं हुए हैं। तमाम तरह कि शौध होते हैं।
सबसे पहले 50 वर्ष बाद 1975 में जब आपातकाल की घोषणा हुई तो तत्कालीन जनसंघ पर भी संघ के साथ प्रतिबंध लगा दिया गया। आपातकाल हटने के बाद जनसंघ का विलय जनता पार्टी में हुआ और केन्द्र में मोरारजी देसाई के प्रधानमन्त्रित्व में मिलीजुली सरकार बनी। 1975 के बाद से धीरे-धीरे इस संगठन का राजनैतिक महत्व बढ़ता गया और इसकी परिणति भाजपा जैसे राजनैतिक दल के रूप में हुई जिसे आमतौर पर संघ की राजनैतिक शाखा के रूप में देखा जाता है। संघ की स्थापना के 75 वर्ष बाद सन् 2000 में प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एन०डी०ए० की मिलीजुली सरकार भारत की केन्द्रीय सत्ता पर आसीन हुई।
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- चतुर्थ सरसंघचालक प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया
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