राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS "संघकार्य" का आधार.


संघ कार्य का आधार

जब संघ का कार्य बढ़ने लगा तब एक दिन स्वयंसेवकों को विचार-प्रवण करने के लिये डॉक्टरजी ने उनके सामने अपने मन के भाव प्रकट करते हुए कहा, अपनी शाखा-उपशाखाओं की संख्या बढ़ रही है। अपने कार्यकर्ताओं के प्रयत्न से यथा समय सारे भारत में अपनी शाखायें हो जायेंगी। ऐसे भारतव्यापी संघ कार्य का मूल आधार भी काफी मजबूत होना चाहिये । यह आधार केन्द्रीभूत और अडिग होना चाहिये । अपने इस संघ कार्य का ऐसा केन्द्रीभूत आधार स्तम्भ क्या होगा ? स्वयंसेवकों के लिये यह प्रश्न कुछ अनपेक्षित सा था । फिर भी डॉक्टरजी का आग्रह था कि इस सम्बन्ध में हर स्वयंसेवक अपने अपने विचार प्रकट करे। इस स्थिति में, हरेक स्वयंसेवक अपने तयीं विचार कर योग्य शब्दों में अपना मत प्रकट करने लगे। इस प्रकार डॉक्टरजीने स्वयंसेवकों को अपने कार्य के सम्बन्ध में स्वयं विचार करने हेतु प्रेरित किया ।

एक स्वयंसेवक ने कहा, भारतमाता की श्रद्धा ही अपने कार्य का आधार है। इसीलिये अपनी नित्य की प्रार्थना में हम मातृभूमि की वंदना कर उसके चरणों में अपना सर्वस्व समर्पित करने का निश्चय प्रकट करते हैं। स्वयंसेवकों के हृदय में अपनी जन्मभूमि के प्रति भक्ति को जागृत और प्रखर बनाना ही हमारा कार्य है । एक अन्य स्वयंसेवक ने कहा, अपनी उदात्त हिंदू संस्कृति की रक्षा के लिये कटिबद्ध रहना हमारा राष्ट्रीय कार्य है और इस कार्य के प्रतीक के रूप में, जिसे हमने अपने गुरुस्थान पर माना है, यह भगवा ध्वज ही हमारे कार्य का अडिग-अचल आधार है। तीसरे स्वयंसेवक ने कहा, भारतमाता की भक्ति के अलावा अन्य कोई मूलभूत शाश्वत विचार प्रकट करने वाला आधार होना चाहिये । भारत की सांस्कृतिक राष्ट्रीयता पर आक्रमण करने वाले हमारे शत्रु अन्य धर्मीय है - उस आक्रमण से भारत को मुक्त कर सच्चे अर्थों में स्वतंत्र बनाना ही हमारा वास्तविक कार्य है । इसलिये स्वतंत्रता प्राप्ति ही हमारे कार्य का मूलभूत विचार है। भगवा ध्वज तो अनेक मठों-मंदिरों पर भी फडकता है। रामकृष्ण मठ और मिशन के कार्य में भी संन्यास वृत्ति को प्रमुखता होने के कारण उनके अंतःकरणों में भी भगवे रंग के प्रति श्रद्धा है। इसलिये अपने संघ कार्य की विशेषता के रूपमें हमें अपने संगठन का कोई अन्य केन्द्रीभूत आधार ढूंढना होगा। संघ कार्य का मूलभूत विचार और अपनी आकांक्षा को प्रकट करने वाली हमारी प्रार्थना है, अतः संघ की प्रार्थना ही कार्य का प्रमुख आधार केन्द्र होना चाहिये । हिन्दु राष्ट्र को परम् वैभव के शिखर पर ले जाने का हमारा दृढ निश्चय है - वही हमारा वैचारिक अधिष्ठान है । किसी ने अपना मत प्रकट करते हुए कहा, ये सारे आधार तो प्रतीकात्मक हैं अथवा वैचारिक स्वरूप के हैं। प्रत्येक स्वयंसेवक जिसे आसानी से और अच्छे ढंग से अनुभव कर सके, ऐसा हमारा मूल आधार होना चाहिये । इससे स्वयंसेवकों के विचारों को एक नयी दिशा मिली । उस समय बैठक में उपस्थित एक ज्येष्ठ अधिकारी ने कहा कि डॉक्टर हेडगेवार ही हमारे अखिल भारतीय कार्य के केन्द्रीय व अचल आधार स्तम्भ हैं। जब इस प्रकार डॉक्टरजी के नाम का उल्लेख हुआ तो डॉक्टरजी ने वहीं बैठक को समाप्त करने के इरादे से शाखा संबंधी अन्य मामूली मुद्दों के बारे में पूछताछ कर बैठक समाप्ति की घोषणा की।

दूसरे दिन, डॉक्टरजीने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अपना यह कार्य श्रेष्ठ ईश्वरीय है। कोई भी व्यक्ति कार्य का आधार नहीं हो सकता । व्यक्ति कितना ही गुणी क्यों न हो, अपने हिंदू समाज का अडिग-अचल आधार नहीं हो सकता । प्रत्येक स्वयंसेवक को नित्य अनुभव में आने वाली हमारी शाखा है । दैनंदिन चलने वाली उत्तम, कार्य प्रवण संघ शाखा ही हमारे कार्य का आधार है। पहले संघ की शाखा नागपुर में शुरु हुई इसलिये नागपुर की शाखा ही व्यापक संघ कार्य का आधार है। नागपुर की शाखा जितनी सुदृढ़, जितनी अधिक संस्कारक्षम व मजबूत रहेगी उतना ही हमारे अखिल भारतीय कार्य का आधार भी मजबूत रहेगा। हमें नागपुर की केन्द्रशाखा को उत्कृष्ठ बनाने के लिये अपनी सारी शक्ति लगाकर प्रयत्न करना चाहिये । समाज को नित्य दिखाई देनेवाला संघ कार्य का यह प्रकट स्वरूप है। संघ शाखा को देखकर ही समाज संघ कार्य का मूल्यांकन करेंगा। अतः शाखा के रूप में अपने दैनंदिन संघ स्थान पर होने वाले कार्यक्रम और कार्य ही अपने संघ का आधार है। ▸

अच्छे ढंग से चलने वाली शाखा कैसी हो, इस बारे में भी स्वयंसेवकों के साथ अनौपचारिक वार्तालापों में विषय स्पष्ट होता गया। नित्य समय पर लगने वाली, जिसमें स्वयंसेवकों के बीच परस्पर आत्मीयता के संबंध हों, एक दूसरे के सुख दुः :खों में समरस होने की भावना हो, हिन्दु समाज के सभी स्तर के लोगों से निकट सम्पर्क बनाकर उन्हे शाखा में लाने का उपक्रम हो, शाखा के कार्यक्रमों मे, स्वयंसेवकों के जीवन में अनुशासन परिलक्षित हो - इत्यादि विशेषताएं उत्तम शाखा के सन्दर्भ में प्रकट की गई। ऐसी उत्तम शाखा खड़ी करने के दिशा में प्रयास भी आरंभ हुए ।

 - संघ कार्यपद्धति का विकास

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